पत्रकारिता क्या है? आधुनिक युग में मानव जीवन अत्यन्त व्यस्त है, स्पर्द्धाशील है। हर कोई अपनी जीवनाकांक्षाओं की परितृप्ति चाहता है। पत्रकारिता एक विशिष्ट और सशक्त माध्यम है जो हमें दैनिक घटनाओं, प्रसंगों, नूतनताओं एवं विविधताओं से परिचित कराने में पूर्णतः सक्षम है। आधुनिक युग घटनाओं से युक्त है, इसमें विचित्र विरोधमूलकता विद्यमान है। पत्रकारिता बीसवीं शताब्दी को पुनर्प्रस्तुत करने का अमोघ शस्त्र है। स्पष्ट है कि यह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम सारे संसार से जुड़ पाते हैं। अतः पत्रकारिता अत्यन्त महत्त्वशाली है, इसलिए इसके अर्थ, स्वरूप आदि पर विचार करना समीचीन जान पड़ता है।
पत्रकारिता का अर्थ (अभिप्राय)
पत्रकारिता का सामान्य अर्थ है- ‘पत्रकार का काम या व्यवसाय पत्रकारिता को तीन रूपों में पाया जा सकता है-
1. पत्रकार होने का भाव या पत्रकार होने की अवस्था (मान्यता प्राप्त पत्रकार कैसे बने)
2. पत्रकार का काम और दायित्वबोध, (पत्रकार का अर्थ क्या है)
3. स्वतंत्र पत्रकार कैसे बने? वह सम्पूर्ण विधा जिसमें पत्र, पत्रकार से जुड़े विविध विषय यथा- पत्रकार के काम, कर्त्तव्य, पत्रकारिता का उद्देश्य, पत्रकारिता के विभिन्न आयामों का अध्ययन होता है। पत्रकारिता का अभिप्राय है पत्र-पत्रकाओं के लिए समाचार संग्रहण, समाचार संकलन, लेख तथा विविध रचनाओं का सम्पादन, प्रकाशन आदि।
वास्तव में पत्रकारिता युगबोध का एक विशिष्टतम तरीका है। इसमें समय की नब्ज या स्पन्दन को समझने और लिखने की प्रक्रिया निहित है। कहा जा सकता है पत्रकारिता एक समसामयिक (अपने युग का) इतिहास है। दैनिक जीवन में बहुत-सी घटनाएं होती हैं, इनमें कुछ तो ऐसी हैं जिन्हें आम व्यक्ति समझ भी नहीं पाता या वह उन घटनाओं की गहन आन्तरिकता से अनभिज्ञ रहता है। ऐसी मस्त घटनाओं को शीघ्र से शीघ्र जनता के सम्मुख लाना पत्रकारिता है।
घटना राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक कोई भी हो सकती है। घटनाओं का रहस्योद्घाटन ज्वलन्त घटनाओं पर विचार-विमर्श पत्रकारिता का जीवन है। पत्रकार का जो कुछ ज्ञात होता है वह पत्रकारिता का भाग बन जाता है। पत्रकारिता घटनाओं के अध्ययन मनन के साथ-साथ सामयिक समस्याओं का निराकरण भी करती है। पत्रकारिता का मूलमंत्र अर्थात् पत्रकारिता का लक्ष्य अन्याय का उद्घाटन करना, दोष परिहार करना, सामाजिक विषयों पर परामर्श देना, समाज का दिग्दर्शन करना है।
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पत्रकारिता तात्कालिक घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण करने का कार्य है। इसमें आवश्यक तथ्यों को प्राप्त करना, महत्त्व के अनुरूप तथ्यान्वेषण करना, उत्पन्न स्थितियों को बड़ी बुद्धिमता और जागरूकता से जन-जीवन के सम्मुख प्रस्तुत करना पड़ता है।
जर्नलिज्म पत्रकारिता का पर्यायवाची है। यह फ्रेंच शब्द जर्नी (Journee) से व्युत्पन्न है। इसका अर्थ है- एक दिवस का समूचा कार्य या विवरण प्रस्तुत करना, पत्रकारिता दैनिक जीवन की घटनाओं को पत्रों के माध्यम से प्रकाश में लाती है।
कर्ल. जी. मूलर के अनुसार “Journalism is the business of timely knowledge- the business of obtaining the necessary facts of evaluating then carefully or presenting them fully, and of acting on them wisely” अर्थात् पत्रकारिता तात्कालिक घटनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण पर आधारित ज्ञान का कार्य है। ऐसा कार्य जिसमें आवश्यक तथ्यों को प्राप्त करके उनकी महत्ता के अनुसार ही उसे तैयार करना अर्थात् उत्पन्न स्थिति के अनुसार तात्कालिक घटनाओं को बुद्धिमता से जन-जीवन के सम्मुख प्रस्तुत करना पड़ता है।
सच तो यह है कि पत्रकारिता का ऐसा कर्म है जिसमें विविधता है और जीवन की सभी स्थितियों का संग्रहण तथा समायोजन होता है। पत्रकारिता व्यक्ति, समाज और विश्व तक के असंख्य सन्दर्भों की सत्यतापूर्ण कहानी है।
पत्रकारिता का स्वरूप
पत्रकारिता समाज का दर्पण है। पत्रकार समाज में रहता है और समाज विषय अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करता रहता है। तथ्यान्वेषण अर्थात् तथ्यों का समूचा सहस्य खोजने का प्रयास करता है। पत्रकार हर घटना को जिज्ञासावृत्ति के चक्षुओं से देखता है। कब, क्यों, कैसे, कौन आदि जानने की चेष्टा करता है।
पत्रकारिता लोग असंख्य घटना सन्दर्भों को आलोक लाने का प्रयास करते हैं। समाज सब कुछ स्वस्थ नहीं इसके भीतर बहुत-सी असामाजिक गतिविधियां होती रहती जो अत्यन्त जघन्य हैं। समाज भ्रष्टाचार, कालाबाजार, दहेज नारी-असुरक्षा आदि सम्बन्धी बातें भी जिन्हें पत्र के माध्यम सबके सम्मुख लाने का प्रयास किया जाता है। इसका प्रयोजन स्थितियों सुधार लाना है।
पत्रकारिता स्वस्थ समाज का स्वप्न संजोये हुए और इस स्वप्न को साकार करने लिए स्वस्थ जीवनमूल्यों की आवश्यकता होती है। पत्रकारिता अच्छे जीवनमूल्यों को स्थापित करने का संकल्प पूरा करती है। पत्रकारिता सही अर्थों समाज का दर्पण है। जैसे कोई व्यक्ति दर्पण अपना मुख देखता उसका वैसा ही रूप दर्पण में बिम्बित हो जाता है। कहते हैं कि दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता।
पत्रकारिता निर्मल दर्पण की तरह है जिसमें सत्-असत्, शुभ-अशुभ, दृश्य-अदृश्य को देखने की चेष्टा होती है। पत्रकारिता सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों तथा जर्जरित रूढ़ियों को समाप्त करने का संघर्षशील माध्यम है। समाज में जो कुछ घटित हो रहा है चाहे वह समाज के किसी भी क्षेत्र यथा- धर्म, राजनीति, साहित्य आदि किसी से भी सम्बन्धित क्यों न हो, पत्रकारिता समाज के प्रत्येक्ष क्षेत्र पर अपनी सूक्ष्म दृष्टि रखती है, उसका विश्लेषण करती है, समाज का दिशा निर्देश करती है।
संक्षेप में, पत्रकारिता एक चेतना-स्त्रोत जिसकी स्वर्णिम किरणें ऐसा आलोक (प्रकाश) लिए हुए हैं जो समाज अन्तस् में निहित अन्धकार की परतों को काटने में पूर्णतः सक्षम हैं।
पत्रकारिता निषेधात्मक दृष्टिकोण नहीं रखती। समाज में कई लोगों की यह धारणा बन चुकी है कि पत्रकारिता निष्पक्ष, बेलाग नहीं वह सरकार के प्रति भी निषेधात्मक रवैया रखती है। स्पष्ट तो यह है कि पत्रकारिता नीर-क्षीर विवेक रखती है अर्थात् दूध का दूध और पानी का पानी करने की कला जानती है। यह निर्णायक भूमिका निभाने के लिए और समाज की आलोचना या विवेचन बहुत जरूरी है।
अच्छा और बुरा कहने से ही उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता। क्या बुरा है, क्यों बुरा है, बुराई को कैसे किया जा सकता है आदि बातों का पत्रकारिता से सम्बन्ध है। पत्रकारिता समाज का निर्माण चाहती है, विध्वंस नहीं चाहती। निर्माण के लिए तनिक विध्वंस जरूरी हो जाता है अर्थात् कुछ जोड़ने के लिए कुछ तोड़ना भी पड़ता है। पत्रकारिता बिल्कुल प्रतिरोधक या निषेधात्मक प्रवृत्ति की नहीं होती।
पत्रकारिता में एक सूक्ष्म शक्ति निहित है कि वह परिवेश के बाह्य रूप के साथ-साथ आन्तरिक रूप को भी चित्रित कर सकती है। प्रतिदिन भयावह, करुणाजनक और कौतूहलपूर्ण घटनाएं घटित होती हैं. कि मनुष्य चकित हो जाता है। आधुनिक युग में सम्बन्धों का विघटन हो रहा है। मानवीय सम्बन्धों के बदलते रूप को पत्रकारिता समाचारों के माध्यम से हमारे सम्मुख लाती है। पत्रकार तो समाज का सजग प्रहरी है जो सामाजिक घटनाओं, बदलते परिवेश, मानव सम्बन्धों के विघटन के कारणों और परिणामों की खोज करता है।
पत्रकारिता मनुष्य को कोरा व्यक्तिक नहीं रहने देती। वह उसे परिवेश से जोड़ती है, राष्ट्र और विश्व तक के घटनाचक्रों का परिचय देती है। स्पर्द्धाशील, भौतिकतावादी युग में हर कोई अधिक से अधिक व्यस्त है। इतनी व्यस्तता के बीच मनुष्य सुध-बुध नहीं रख पाता कि कहां क्या घटित हो रहा है। पत्रकारिता यह जानकारी प्रदान करती है। जनसम्पर्क के विविध माध्यमों- रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र आदि द्वारा समस्त विश्व एक सूत्रचक्र में बांधा जा सकता है और व्यस्त मनुष्य की जिज्ञासापूर्ति की जा सकती है।
समाज का दर्पण होने, सूक्ष्म विश्लेषण करने, परिवेश से जोड़ने को यह भूमिका निभा कर पत्रकारिता वास्तव में सामाजिक मूल्यों की स्थापना या नियोजन चाहती है। समाज में व्याप्त बुराई को समाप्त कर अच्छापन लाने का कार्य करती है।
पत्रकारिता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। आज पत्रकारिता को कई आयामों में भूमिका निभानी पड़ती हैं, क्योंकि उसे सीमित क्षेत्र में नहीं रखा जा सकता। यही कारण है विभिन्न विषयों से जुड़ी अलग-अलग पत्र-पत्रिकाए भी उपलब्ध हैं। प्रत्येक व्यक्ति किसी विशेष विषय या वर्ग विशेष से जुड़ा है।
पत्रकारिता उस विषय में सम्यक और नवीनतम जानकारी देने का साहस रखती है। आज पत्रकारिता केवल समाचारों तक सीमित नहीं है अपितु वह फिल्म, खेलकूद, वाणिज्य, विज्ञान, धर्म, ग्राम्य परिवेश, नारी जगत, साहित्य आदि क्षेत्रों में प्रविष्ट होकर अच्छी भूमिका निभा रही है। पत्रकारिता समाज के छोटे-बड़े सभी क्षेत्रों को अपनाती है। समाचार पत्र की परिधि में सब कुछ आ जाता है इसका क्षेत्र विविध रूपों से युक्त होकर व्यापक भी होता जाता है।
पत्रकारिता विविध क्षेत्रों में एक कुशल चिकित्सक की भूमिका निभाती है। वह घटनाओं की नब्ज पकड़ती है। पत्रकार समूचे परिवेश का रक्तचाप देखते हैं, स्पन्दन या धड़कन का हिसाब रखते हैं और समाचार-पत्र रूपी एक्सरे रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। फोटो पत्रकारिता तो वास्तव में ही कार्य करती है। इस माध्यम से घटना को प्रमाणित करने अर्थात् विश्वसनीय बनाने में सहायता मिलती है। पत्रकार की स्थिति एक चिकित्सक जैसी है जो समाज के विकृत रूप का उपचार करने में जुटा
पत्रकारिता प्रशासन और जनता के बीच सम्बन्ध बनाने की भूमिका. निभाती है। सरकार समय-समय पर अपनी नीतियों, योजनाओं के विषय में घोषणाएं, सूचनाएं जारी करती है। जनजीवन को इनकी जानकारी पत्र ही दिलाते हैं। जनता में इन योजनाओं, नीतियों के बारे में भ्रांतियां अर्थात् भ्रामक धारणा भी फैलती है, इनका निराकरण भी सरकार पत्रों के माध्यम से करती है। स्पष्ट तो यह है पत्रकारिता सरकार और जनता के बीच सुदृढ़ कड़ी का काम करती है।
पत्रकारिता सम्प्रेषण (Communication) का सशक्त माध्यम है। वैज्ञानिक सुविधाओं ने रेडियो, टेलीविजन, फिल्म, समाचार पत्र आदि माध्यम प्रदान किये हैं जिनसे सारा विश्व एक कुटुम्ब के समान प्रतीत होता है। पलक झपकाते ही हम विश्व के हर कोने की घटना से परिचित हो जाते हैं। Richards के अनुसार- Communication means “to feel the feeling of others” अर्थात् अन्य की भावनाओं को महसूस करना ही सम्प्रेषण है। पत्रकारिता जनता को सचेत करने के साथ-साथ उसकी अभिरुचियों का विकास भी करती है, मनोरंजन भी करती है।
विभिन्न घटनाचक्र जो शिक्षा, साहित्य, राजनीति, आर्थिक आदि क्षेत्रों से जुड़े हैं उन सभी के सम्प्रेषण का कार्य पत्रकारिता निभाती है। देश-विदेश में होने वाले नवीन अविष्कारों, अनुसंधानों की जानकारी देती है। पत्रकारिता ने विभिन्न उत्सवों, आयोजनों की जानकारी, फीचर’ आदि के माध्यम से अपनी प्रेषणीय क्षमता में वृद्धि कर ली है।
पत्रकारिता वर्तमान जीवन का आधार है। पत्रकारिता का लक्ष्य महान् है वह जन सामान्य की भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करती है। समाज के विभिन्न पहलुओं का ध्यान आकृष्ट करती है, समाज की ज्वलन्त समस्याओं का हल खोजती है।
आधुनिक जीवन में मनोरंजन अपरिहार्य अर्थात् आवश्यक सा हो गया है। व्यस्तता के पल व्यतीत करने वाला मनुष्य एक अजीब तनावग्रस्तता महसूस करता है। ऐसी स्थिति में पत्रकारिता हल्की-फुल्की, व्यंग्यपूर्ण, उत्तेजक, रोचक, प्रसन्नताप्रदायक सामग्री लेकर आती है ताकि मनुष्य की थकी इन्द्रियों, मस्तिष्क को कुछ राहत मिले। फिल्म, नाटक, झलकी मनोरंजन के ही साधन हैं।
पत्रकारिता में प्रेरणादायिनी शक्ति है वह व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को प्रेरणा देती है। समाचार-पत्र राष्ट्र के उत्थान की ओर ले जा सकता है या पतनोन्मुख कर सकता है। इस दृष्टि से पत्रों के सम्पादकीय, अग्रलेख अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। समाचार पत्र राष्ट्र के प्रेरणा स्रोत होते हैं। राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलन में भारतीय समाचार-पत्रों ने मत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। कहा जा सकता है कि पत्रकारिता समाज में जागरूकता लाने का अच्छा माध्यम है।
पत्रकारिता की आवश्यकता
प्रश्न उठता है कि पत्रकारिता की आवश्यकता क्यों पड़ी? मनुष्य अपनी जिज्ञासा या कौतूहल को पूरा करना चाहता है। नित्य नवीन होने वाली घटनाओं से काफी जिज्ञासा उत्पन्न होती है। इस जिज्ञासा की पूर्ति पत्रकारिता करती है। पत्रकारिता हर क्षेत्र के लोगों की जिज्ञासा पूर्ति करती है जैसे समस्याओं, सामाजिक व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी देती है, साहित्यकारों को साहित्यिक पत्रकारिता का अर्थ और साहित्यिक जानकारियां देती है।
समाचार पत्र न मिलने का अर्थ होता है- कूप मण्डक बने रहना अर्थात् अन्धकार में विचरण करना। मनुष्य को जाग्रत करने, उद्बुद्ध करने का प्रयोजन पत्रकारिता पूरा करती है। किसी पौधे को जीवन देने के लिए पानी, खाद और वायु की आवश्यकता होती है। समाचार-पत्र आज के मनुष्य को यह खुराक देते हैं। मनुष्य और समाज के सर्वांगीण विकास हेतु पत्रकारिता की आवश्यकता हुई।
पत्रकारिता का महत्त्व (meaning of journalism in hindi)
आधुनिक युग में समाचार-पत्रों का विशिष्ट महत्व है। पत्रकारिता समाज की उष्मा या तापमान मापने का थर्मामीटर है। यह अतीत, वर्तमान और भविष्य की जानकारी प्रदान करती है। समाज के हर वर्ग का सदस्य पत्रों के माध्यम से विभिन्न जानकारियां पाता है, उत्प्रेरित होता है।
प्रजातांत्रिक देशों में ता समाचार पत्र लोकसभा का स्थायी अधिवेशन कहे जाते हैं। आस्कर वाइल्ड ने तो समाचार-पत्रों को राज्य का चौथा अंग माना है। सच तो यह है कि पत्रकारिता आधुनिक युग का प्रभावशाली आविष्कार है।
समाचार पत्र समाज के दिशा-निर्देशक की भूमिका निभाते हैं. जनमत बनाने की चेष्टा करते हैं। समाज की विभिन्न समस्याओं का विश्लेषण और निराकरण करते हैं, देश-विदेश को खबरों से परिचित कराते हैं।
अविकसित समाजों के उत्थान में समाचार पत्रों की अहम् भूमिका रही है। सत्ताधिकारियों के क्रूर एवं अमानवीय अत्याचारों का वृत्तान्त पत्रों ने समूचे विश्व में प्रसारित किया है। इस प्रकार विश्व समाज की संवेदना, सहानुभूति बढ़ाकर उत्कट समस्याओं को समूल नष्ट करने के प्रयास फलीभूत हुए हैं। समाचार-पत्रों ने क्रांतिद्रष्टा का रूप धारण किया है। समाज में व्याप्त विसंगतियों को चित्रित कर उनका निराकरण भी किया गया है।
कहा जाता है कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली है। लेखनी के बल पर पत्रकारिता ने समाज में व्याप्त अन्धविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया है। पत्रकारिता समाज का अविभाज्य अंग है। पत्रों ने दैनन्दिन घटनाओं यथा- स्थानीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय, राजनीतिक, सामाजिक घटनाओं से हम सबको परिचित कराने का प्रयास किया है।
पत्रों के माध् यम से ही आर्थिक उतार-चढ़ाव यथा- मुद्रा स्फीति, रुपये का अवमूल्यन आदि विषयों की जानकारी मिल सकी है। यदि प्रातःकाल समाचार-पत्र न मिले तो लगता है कोई रिक्तता या अभाव व्याप्त हो गया है। स्पष्ट है समाचार पत्र आजकल जीवन की अनिवार्यता बन चुके हैं। यही इनका महत्त्व है। स्पष्ट शब्दों में समाचार-पत्र मनोरंजन, ज्ञान, दैनन्दिन घटनाओं का विस्तृत विवरण, सामाजिक विषयों का विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं।
पत्रकारिता जीवन का तथ्यबद्ध, विविधात्मक और यथार्थमूलक अध्ययन है जिसे पत्रकार जनसाधारण को सम्प्रेषित करने की चेष्टा करते हैं। अन्त में कहा जा सकता है पत्रकारिता सामयिक जीवन की प्राणवायु के सदृश हैं।
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