समाचार आधुनिक जीवन की एक आवश्यकता है। क्या हम समाचार विहीन समाचार पत्र की परिकल्पना कर सकते हैं। वास्तव में समाचार पत्र का कर्त्तव्य समाचार देना है। यह दायित्व कहीं तक सीमित नहीं है। समाचार पत्र को परिशुद्ध, अविलम्ब, समाचार देने चाहिए | साथ ही समाचार की मूल्यवत्ता, सत्यता और मीमांसा, विश्लेषण पर बल देना चाहिए।
समाचार क्या है?
समाचार के बारे में निश्चित मत अभी तक नहीं बन पाया। इसीलिए इसकी परिभाषा में विविधता है। साधारण रूप से कहीं पर कुछ घटना घटित हो तो मानव स्वाभाविक रूप से जिज्ञासा रखता है कि अमुक स्थान पर क्या हुआ। इसी प्रवृत्ति से समाचार के प्रत्युत्पन्न होने की गंध आती है। यदि किसी घटना की थोड़ी-सी जानकारी मिलती है तो उसके सम्बन्ध में और भी जिज्ञासा उत्पन्न होने लगती है।
स्पष्ट है कि घटना के विभिन्न संदर्भों को जानने की लालक हर मनुष्य में होती है। हेडन ने समाचार की परिभाषा – सब दिशाओं की घटनाएं के रूप में दी हैं। पर्याप्त मात्रा में मनुष्य जिसे जानना चाहे वह समाचार है। अधिक से अधिक लोगों की रुचि जिस सामयिक विषय में हो वह समाचार है। समाचार पत्र द्वारा हम समाचारों से अवगत होते हैं। समाचार-पत्र हमें आस-पास और विश्व भर के समाचार प्रदान करते हैं।
समाचार के मूल तत्त्व
समाचार के मूल तत्त्व – सत्यता, नवीनता, सामायिकता, निकटता, मानवीयता, विशष्टता, असाधारणता आदि हैं। समाचार किसी सामयिक घटना का तथ्यबद्ध, परिशुद्ध एवं निष्पक्ष विवरण होता है। वही समाचार सर्वोत्तम होता है जो अधिक से अधिक लोगों की रुचिकर लगे।
समाचार सामयिक प्रकाशित संवाद को कहा जाता है। यही समाचार पत्र की आत्मा है। समाचार की नवीनता अत्यन्त आवश्यक है। किसी असाधारण घटना की अविलम्ब सूचना समाचार है।
समाचार के प्रकार :
मुख्यतः समाचार को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है|
1. आज का समाचार (Spot News): इसके बारे में सामान्य जन को पहले से ही कुछ मालूम नहीं होता। ऐसा समाचार अद्यतन होता है। यह समाचार पत्र के मुख्य पृष्ठ पर स्थान प्राप्त करता है ।
2. व्यापी समाचार (Spread News ) : यह एक ऐसा समाचार है जो अपने महत्त्व और प्रभाव से पृष्ठ पर आच्छादित हो जाता है। इसमें विस्तार की सुविधा है। व्यापी समाचार का खण्डन-मण्डन भी अन्य समाचार का रूप लेता है।
समाचार के विभिन्न स्रोत | samachar ke vibhinn strot
समाचारों के लिए प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष और अन्य कई प्रकार के स्त्रोत (sources of newspaper) हैं। इनका वर्गीकरण करना अत्यन्त कठिन है। लोग ही समाचार के स्त्रोत होते हैं। संवाददाता को अधिकांश समाचारों और उनके सत्यापन के लिए दूसरों पर निर्भर करना पड़ता । अकस्मात घटना समाचार का स्रोत बनती है। संवाददाता हर घटना के समय घटनास्थल पर नहीं जा सकता। घटना का प्रत्यक्षदर्शी भी समाचार का स्रोत बन सकता है।
संवाददाता राजनीतिक दल, राजनीतिक नेता, पुलिस थाना, चिकित्सालय, शैक्षणिक संस्था, धार्मिक संस्था, सांस्कृतिक विभाग एवं संस्था, स्थानीय स्वशासन संस्था, विभिन्न कर्मचारी संघ, खेलकूद क्लब एवं सामाजिक संस्था को समाचार का स्रोत बनाता है। इसके अतिरिक्त और भी समाचार स्रोत हो सकते हैं।
सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय समय-समय पर प्रेस नोट, बुलेटिन, संसूचनाएं जारी करते हैं। इन्हें पत्रक (Handorder) भी कहते हैं। जो सीधे रूप में समाचार नहीं होते, किन्तु इनमें से ही महत्त्वपूर्ण समाचार मिल जाते हैं।
समाचार पत्रों के लिए समाचार के मुख्य स्रोत- समाचार समितियां, निजी संवाददाता, विशेष संवाददाता, संवाददाता, प्रेस विज्ञप्ति (Press Note). आकाशवाणी (लघु समाचार-पत्र के लिए) आदि होते हैं।
हर समाचार समिति का एक मुख्य कार्यालय होता है जो अपने सहयोगी कार्यालय से टेलीप्रिंटर लाइन से जुड़ा रहता है। समाचार समितियों के संवाददाता (प्रतिनिधि) अपने प्रदेश, नगर के समाचार भेजते हैं जबकि विदेशों में रहने वाले प्रतिनिधि भी समय-समय पर समाचार भेजते रहते हैं। आज समाचार प्रेषण के काम में बड़ी तेजी आ गयी है। टेलीप्रिंटर, टेलीफोन, तार, डाक आदि द्वारा उपयोगिता और अत्यधिक महत्त्व के समाचार तुरन्त भेजने की व्यवस्था है।
विभिन्न कार्यालयों में जनसम्पर्क अधिकारी (Public Relation Officer) होते हैं जो जनसम्पर्क हेतु समाचार पत्रकारों को भेजते रहते हैं। शासन का सूचना एवं प्रकाशन विभाग इसी कार्य में जुटा है। संवाददाता सोच ही नहीं सकता कि कब कौन-सा समाचार उसके हाथ आ जाये। पत्रकार सम्मेलन (Press Conference) समाचार का अच्छा स्रोत है। इसका विकास आधुनिक युग में अधिक हुआ है।
देश-विदेश के राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री पत्रकार सम्मेलन में रुचि लेते हैं और पत्रकारों को विभिन्न योजनाओं और निर्णयों से अवगत कराते हैं। विभिन्न वाणिज्य संगठन, रेलवे, एयर लाइन्स आदि भी अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करने के लिए पत्रकार सम्मेलन आयोजित करते हैं। प्रश्नोत्तर के माध्यम से विभिन्न जानकारियां मिल जाती हैं।
व्यक्तिगत सम्पर्क या साक्षात्कार समाचार का प्रमुख स्रोत है। समाचार को व्यक्तिगत स्पर्श देने से समाचार की रोचकता और महत्त्व बढ़ जाता है। आजकल साक्षात्कार एक विकसित कला है। निश्चित समय और स्थान पर किसी व्यक्ति विशेष से साक्षात्कार किया जाता है। या फिर अकस्मात व्यक्तिगत सम्पर्क के माध्यम से भी समाचार सम्बन्धी जानकारी लेनी पड़ती है। जिस संवाददाता को यह ज्ञात होता है कि समाचार क्या है, वह समाचार को सहज ही पहचान लेता है। पुलिस भी समाचार पाने का ही सीधा स्रोत है- अपराध समाचार पाने में यह सहायक भी है और विश्वसनीय भी है।
प्रश्न उठता है कि समाचार का सही स्रोत कौन है?
उत्तर भी स्पष्ट है कि जो विश्वसनीय या अधिकृत जानकारी दे सके वह सही स्रोत है। घटनास्थल पर विद्यमान होने से संवाददाता प्रत्यक्षदर्शी संवाद लिख सकता है। अन्यथा उसे समाचार पाने के सही स्रोत खोजने पड़ते हैं। सरकारी रिकार्ड, कागजात एवं रिपोर्ट समाचार के श्रेष्ठ स्रोत हैं। न्यायालयों के समाचार पाने के लिए यह जरूरी भी है फिर संवाददाता को न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायाधीश के निर्णय, आदेश, सुनवाई देखनी चाहिए।
कुछ मामलों में संवाददाता को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कई बार मिथ्या समाचारों के स्रोत मिलते हैं। संवाददाता को जोश या उत्तेजना में आकर किसी द्वारा प्रदत्त समाचार को ग्रहण नहीं कर लेना चाहिए। कई बार कुछ मामलों में स्रोतों की रक्षा भी करनी पड़ती है, किन्तु ऐसे समाचारों की सत्यता आवश्यक है। सच्चा पत्रकार समाचार की सत्यता तो सिद्ध कर देगा, परन्तु उसके गुप्त स्रोत को गुप्त ही रहने देगा।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि पत्रकारिता एक विधि है उसे पत्रकार को अपनाना चाहिए। संवाददाता को निष्पक्ष रहना चाहिए। यदि वह दलबन्दी, गुटबन्दी से परे रह कर पत्रकारिता का धर्म निर्वहण करता है तो वह विभिन्न प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष स्रोतों से घटनाओं के रहस्यों का पता लगा सकता है। एक कुशल संवाददाता कुशल गोताखोर और तैराक जैसा होता है, वह अपनी योग्यता, सूझबूझ, निष्ठा, साहस, ईमानदारी से समाचार रूपी मोती खोज सकता है। इसके लिए उसे जागरूक रहना होगा।
समाचार लेखन :
पत्रकारिता की भाषा में समाचार को समाचार कथा (News Story) कहा जाता है। कथा में गत्यात्मकता होनी जरूरी है उसी प्रकार समाचार भी प्रवाहमय होना चाहिए। समाचार लेखन एक कला है। केवल समाचार देने तक ही संवाददाता का कार्य पूरा नहीं होता। एक समाचार को नाटकीयता देकर कहानी रूप देना कलाकार का ही काम है। अच्छा समाचार पत्र वही होता है जिसमें सबसे अधिक पठनीय, विश्वसनीय और रोचक समाचार हों।
समाचार बुद्धिमता और शिल्प का कर्मकौशल है। समाचार संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित होने चाहिए। उनमें स्पष्टता बनी रहनी चाहिए। समाचार आकर्षक होना चाहिए। समाचार में ऊहापोह बातें नहीं होनी चाहिए। भाषणबाजी या उपदेश समाचार का अंग नहीं हैं। समाचार में वस्तुनिष्ठता जरूरी है। समाचार पत्र में समाचार संग्रहण जरूरी है, परन्तु समाचार के महत्त्व को समझना और भी आवश्यक है। भाषा-शैली संवाद को कलात्मक बना देती है।
संवाददाता को कृत्रिम एवं आडम्बर युक्त भाषा प्रयोग नहीं करना चाहिए। आमतौर पर बोलचाल या जनसामान्य की भाषा प्रयुक्त करनी चाहिए, किन्तु भाषा को मनोहारिक या रमणीय बनाने के निरन्तर प्रयास होना जरूरी है। आधुनिक युग में व्याख्यात्मक एवं अन्वेषणात्मक समाचारों का विशेष महत्व है। संवाद लेखन के समय समाचार को समझाने की चेष्टा होनी चाहिए, परन्तु यह स्वाभाविक हो ।
व्याख्यात्मक समाचार अतीत (कल) को वर्तमान (आज) से जोड़ता है। व्याख्यात्मक समाचार में लम्बी-चौड़ी व्याख्या करना उपयुक्त नहीं है। अन्वेषणात्मक संवाद लेखन के समय घटना के कारणों की गवेषणा (खोज) जरूरी है। तथ्यान्वेषण के लिए सर्वेक्षण आवश्यक है। कुशल संवाददाता घटना के कारण, प्रवृत्ति और तथ्य को जानने के लिए भीषण प्रयत्न करता है।
समाचार का सूत्रपात :
संवाददाता को विभिन्न स्रोतों से समाचार तो प्राप्त हो जाते हैं, परन्तु समाचार-एकत्र होने के बाद समाचार लेखन का सिलसिला शुरू हो जाता है। संवाददाता के सम्मुख यह कठिन कार्य होता है कि वह समाचार किस प्रकार प्रारम्भ करे। सूत्रपात का अभिप्राय है वह वाक्य जिससे किसी समाचार को प्रारम्भ किया जाना है।
प्रारम्भ भावोत्पादक होना चाहिए। इसकी कसौटी पठनीयता है अर्थात् समाचार का प्रारम्भिक ऐसा होना चाहिए। पाठक पढ़ने को प्रेरित हो जाये। समाचार का सूत्रपात ‘लीड’ भी कहलाता है। इसकी प्रारम्भिक पंक्तियों में ही पूरे समाचार का सारांश आ जाता है।
समाचार का सूत्रपात इतना सारगर्भित होना चाहिए कि यदि समाचार के विस्तार (बॉडी) और अन्त (टेक) को तराश भी दिया जाये तो समाचार अविकल बना रहे। सूत्रपात संक्षिप्त होना चाहिए। संवाददाता को समाचार का सूत्रपात करते समय अनावश्यक विस्तार तथा उपवाक्यों से बचना चाहिए। आशुलेखन समाचार लेखन में महद् भूमिका निभा सकता है।
समाचार के सूत्रपात में छः ‘ककार’ अर्थात् कब, क्या, कहां, क्यों, किसने, कैसे का भी अन्वेषण का लेखन करना चाहिए। समाचार को अधिक विश्वसनीय, तथ्यबद्ध एवं रोचक बनाने के लिए चित्रमय भी किया जा सकता है। दृश्य-विधान पाठक पर यथेष्ट प्रभाव डालता है। चित्र के साथ एक पंक्ति भी देना उचित है।
यदि समाचार लेखन में अनाकर्षण है तो वह समाचार को नीरस बना देगा। शब्द विधान ऐसा होना चाहिए। कि शब्द, चित्र और भी सजीव बन पड़े। समाचार लेखन एक गम्भीर दायित्वकर्म है, क्योंकि संवाद लेखन से घटनाएं भी मोड़ ले लेती हैं। संवाददाता को पत्रकारिता के आदर्श मानदण्डों को सम्मुख रखकर ही समाचार लेखन करना चाहिए।
उदाहरण :— शैक्षणिक (शिक्षा जगत सम्बन्धी समाचार) हिसार में वैदिक शोध संस्थान की स्थापना होगी
हिसार, 25 सितम्बर। हिसार में एक वैदिक शोध संस्थान की स्थापना कर वेदों तथा उनसे सम्बन्धित पाठ्य एवं सन्दर्भ ग्रन्थों को सुरक्षित रखने एवं उनका अनुसंधान करने हेतु आज मुख्यमंत्री की अधयक्षता एक समिति का गठन किया गया। राज्यपाल इस समिति के मुख्य संरक्षक हैं।
संस्था के भवन के लिए भूखण्ड प्रदान करने हेतु मुख्यमन्त्री ने भरपूर आश्वासन दिया। उन्होंने बैठक में कहा कि आधुनिकता के दौर में वेदों के अमूल्य विचारों को प्रसार रूप देने के लिए संस्थान महद् भूमिका पूरी करेगा। सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि समिति के कार्यकारी अध्यक्ष गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति होंगे।
आर्थिक समाचार
डॉलर के संदर्भ में भारतीय रुपये का अवमूल्यन
दिल्ली, 18 अप्रैल (निस)। सन् 1990 से मार्च 1994 की अवधि के दौरान अमरीकी डॉलर के सन्दर्भ में भारतीय रुपये का अधिकारिक रूप में 60 प्रतिशत अवमूल्यन हो चुका है जबकि अनाधिकृत रूप में यह अवमूल्यन 25 प्रतिशत अधिक है।
यह संभवतः इसलिए हुआ है कि अमरीका में ब्याज की ऊंची दर, भुगतान संतुलन में सुधार, औद्योगिक उत्पादन में आशातीत वृद्धि हुई है। अमरीका के फेडरेल रिजर्व बोर्ड ने मुद्रा नीति को और भी सख्त कर दिया। अमरीका ने अपनी समृद्ध और अच्छी अर्थव्यवस्था से विश्व के विभिन्न हिस्सों की पूंजी अपनी ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया है और उसमें सफल भी रहा है।
अपराध समाचार
रक्तपान करने वाले अमानुषिक संन्यासी को मृत्युदण्ड
रोहतक (निस)। स्थानीय शिव मंदिर में जून 1990 में रजतगिरि को पुलिस ने गिरफ्तार किया था जिसने भोले-भाले धर्मावलम्बी तीन लोगों की हत्या की थी। वह धर्मभीरू लोगों को मिथ्या चमत्कारों से आकृष्ट कर अपना शिष्ट बना लेता था। मध्यरात्रि शमशान घाट में पूजा अर्चना करने हेतु बुलाता था और रुपये, पैसे, आभूषणादि भी मंगवा लेता था। उसने रात्रि के सन्नाटे में तीन लोगों की हत्या की और उनके रक्त से अपनी क्षुधा पूरी की। मनोविकृत संन्यासी रजतगिरि को कल जिला सत्र न्यायाधीश ने मृत्युदण्ड सुना दिया।
View Comments (0)