उपसम्पादक (कॉपी सम्पादक) का अर्थ क्या है ?
उपसम्पादक (कॉपी का अर्थ) समाचार पत्र का अज्ञात यौद्धा होता है। जनता केवल सम्पादक का अर्थ जानती है. रिपोर्टर को भी भली-भांति जानती है। परन्तु उपसम्पादक को कोई नहीं जानता। यद्यपि यह समाचार पत्र का मेरुदण्ड अनसंग हीरो, क्रियेटिव आर्टिस्ट (क्रियात्मक कलाकार), समाचार प्रणेता है तो भी उसके महत्त्व कोई नहीं जानता।
स्टेनले वाकर उसे अनसंग हीरो कहता है। आर. डी. ब्लूमफील्ड क्रियेटिव आर्टिस्ट मानता है। उपसम्पादक सम्पादन विभाग का ऐसा व्यक्ति है जो समाचारों तथा समाचारेत्तर सामग्री को आकर्षण प्रदान करने, पठनीय बनाने का प्रयास करता है। उसे समाचारों के मूल्य का पूरा ज्ञान होता है। वह समाचारों के जंगल में महत्त्व के अनुरूप प्रथम लीड, द्वितीय लीड की संज्ञा प्रदान करता है।
रंगास्वामी पार्थसारथी की मान्यता है
“The subeditor is the live wire of a newspaper, the invisible (to the outside world) pres ence whose impact is felt on every world, every phrase, every head line & every inch of news that a newspaper carries”, जब रात को संसार के सारे लोग निद्रालीन होते हैं। तब वही उपसम्पादक समाचार-पत्रकारिता की तैयारी में जुटा रहता है।
तभी पाठकों के पढ़ने के लिए प्रातःकाल समाचार पत्र मिलता है। उप सम्पादक समाचार पत्र का विश्वकर्मा होता है। यह वह व्यक्ति है जिसकी पैनी पेंसिल उसके पैने विचारों के साथ-साथ चलती रहती है।
समाचार पत्र के कार्यालय में जो समाचार आते हैं। वह उसकी मेज पर आ जाते हैं। वह शीघ्रतापूर्वक निर्णय लेता है कि कौन-सा समाचार छोड़ा जाए व किसे प्रकाशित किया जाए, किस समाचार को काटकर आधा किया जाएगा व कौन-सी पंक्तियां बिल्कुल समाप्त की जाएंगी। सम्पादक, समाचार सम्पादक और प्रधान उप-सम्पादक बैठक करके इन बातों पर विचार करते हैं।
अगले दिन के समाचार-पत्रकारिता की एक रूपरेखा होती है- मेकअप, डम्मी का कार्य करके ले ऑऊट करने का कार्य कापी सम्पादक करता है। समाचार-पत्र कार्यालय में सम्पादक का वही कार्य है जो चाय के कार्यालय में चाय प्रेक्षक का है। वह अपनी पारी में समाचार पत्र की कापी का परीक्षण करता है।
वह किसी विषय का निर्धारण करता है कि वह कितने महत्त्व का है व उसे किस श्रेणी में रखा जाए। सम्पादक के सहयोग से वह कापी परीक्षण कार्य करता है वह चित्रों, फीचरों व समाचार पत्र का पूरा नक्शा अपने दिमाग में रखता है। कच्चा मसौदा परिवर्तनशील होता है। कई बार नई परिस्थितियां आ जाने पर वह इसमें परिवर्तन करता है। उप-सम्पादक ऐसा परिवर्तन करने के लिए तैयार रहता है।
उपसम्पादक एक कलाकार भी होता है वह चित्रों का चयन करता है व उसके शीर्षक निश्चित करता है। समाचार पत्र को दर्शनीय बनाने के लिए वह सावधानीपूर्वक कार्य करता है। समाचार-पत्र कार्यालय में जो बातें विचारणीय हैं जिनके बारे में बारीकी से सोच-विचार किया जाता है वह उप सम्पादक करते हैं।
उपसम्पादक के कार्य :
उप-सम्पादक को विशेष कार्य करना होता है। कौन-सी सामग्री रद्द की जा सकती है, किसे घटाया जा सकता है, कौन-सी सामग्री समाविष्ट की जा सकती है? यह सोचना उसका कार्य है। उपसम्पादक का कार्य विषय सामग्री को चुनना परखना, संवारना आदि है। एक तरह से वह समाचार का अंग-भंग कर कलात्मकता का सूत्रपात करने वाला है।
उपसम्पादक को प्रतिभा सम्पन्न होना चाहिए। उपसम्पादक जिस कापी पर कार्य करता है वह मुद्रण के लिए तैयार होकर विशिष्ट पत्र बनता है, उपसम्पादक को अच्छी शिक्षा, सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल, साहित्य, अर्थशास्त्र व राजनीति का ज्ञान होना चाहिए।
उपसम्पादक के अवतरण
उपसम्पादक की पहली शर्त है कि वह परिशुद्धता से किसी बात का निर्धारण करे। इसके -लिए उत्तम मार्ग यह है कि जिस बात पर उसे संदेह हो उसे छोड़ देना चाहिए। उपसम्पादक के लिए ‘कथित’ शब्द एक ऐसी चट्टान का कार्य करता है। जिसकी आड़ में वह अपनी रक्षा कर सकता है।
उपसम्पादक के औज़ार पैनी पैंसिल, पैनी विचारशक्ति, गोंद व ऊँची है। उपसम्पादक किसी बात पर तुरंत विश्वास नहीं करता। वह नाम, तथ्य, तारीख सभी पर ध्यान देता है, वह कापी देखता है। कथ्य को समझता है व जो संवाददाताओं ने भेजा है उस संवाद को ठीक रूप देता है। उप-सम्पादक अवतरणों पर ध्यान देता है। वह ऐसे वाक्यों प्रयोग करता है जो पत्र की विशिष्ट बनाते हैं।
उपसम्पादक छपी कापी को जरूर देखता है, वह समाचार की मुख्य पंक्ति के नीचे दो या तीन कॉलमों में ऐसी बात लिखता है जिससे समाचार स्पष्ट हो जाता है व प्रभावी बनता है। सुसम्पादित समाचार-पत्र उद्यान की तरह है जिसका विन्यास अच्छे ढंग से किया गया हो। वह ऐसा जंगल नहीं जिसमें सभी प्रकार की झाड़ियां उगी हैं।
उप-सम्पादन का कार्य समाचार पत्र को आकर्षक बनाता है। उसे अपने कर्त्तव्य का पालन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इसके लिए उसे पुस्तकालय की सहायता लेनी चाहिए। वह पुस्तकालय से ऐसी जानकारी ले सकता है जो समाचार पत्र की अनुपूर्ति के लिए जरूरी है।
रात्रि के समय जब सारा संसार सोता है जब परामर्श के लिए कोई व्यक्ति उपलब्ध नहीं होता। उस समय बहुत से समाचार व विषय उप-सम्पादक को उलझाए रखते हैं। वह समाचारों में आकर्षण भरने के लिए सटीक, सुन्दर, उपयुक्त शीर्षक ढूंढ़ता है।
उप-सम्पादक को शब्द कोश देखते रहना चाहिए। उप-सम्पादक एक ऐसा कर्मचारी है जो महत्त्वपूर्ण कार्य करता है, परन्तु उसके इस महत्त्व को कोई नहीं जानता बल्कि उसे आरोपित किया जाता है। संवाददाता नाराज हो जाते हैं कि वह उनकी कापी को खराब कर रहा है। वास्तव में उप-सम्पादक अशुद्ध वस्तुओं को रद्दी की टोकरी में डाल देता है।
स्पष्ट है कि संवाददाताओं व उप-सम्पादकों में एक युद्ध-सा चलता रहता है। किसी समाचार पत्र के कार्यालय में उप-सम्पादक का कमरा वह कमरा होता है जहां दुनियां भर की बातें होती हैं। वास्तव में उप-सम्पादक एक माली की तरह है। वह समाचारों के जंगल को मनोहारी उद्यान बना देता है।
वह समाचार पत्र का रूप ऐसे संवारता है जैसे कोई दुल्हन साज-शृंगार करती है। उप-सम्पादक वह व्यक्ति है जो अपने परिवार की अवहेलना करके भी समाचार पत्र को आकर्षक बनाने में जुटा रहता है।
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